सामाजिक >> चांद के पार एक चाभी चांद के पार एक चाभीअवधेश प्रीत
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प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
कोई भी विधा जितना कथ्य होती है, उससे कुछ ज्यादा फॉर्म होती है ! फॉर्म से ही पता चलता है कि रचनाकार ने सामाजिक के रूप में अपने समय में खुद को कहाँ स्थित किया है ! अवदेश प्रीत का कहानीकार अपने कथ्य को एक संतुलित दूरी से देखता और उसका अंकन करता है जिसके बल ही शायद उनकी कहानी भी पाठक को अपने आनंद में डुबो लेने के बजाय एक खास दूरी पर खड़ा रखकर अपने कथ्य को वस्तुगत ढंग से देखने को बाध्य करती है ! इसी संग्रह में शामिल शीर्षक कहानी ‘चाँद के पार एक चाभी’ जाति की जड़ और विकत संरचना, उसके सम्मुख प्रेम की असहायता और असम्भवता, और साथ ही आधुनिकता के साथ जगती उम्मीदों के नए अंकुरों की कहानी है !
यह कहानी आंसुओं की बाढ़ ला सकती थी, लेकिन अगर नहीं लाती और पढ़ने के बाद डूबने के बजाय चिंता में डाल देती तो यह उसके शिल्प के चलते है ! शिल्प का यह जादू वे भाषा के प्रयोग में खास तौर पर साधते हैं ! उनका किस्सागो दृश्य को बखानने की प्रक्रिया में चीजों को देखने का एक नजरिया पाठक को देता चलता है जो गुदगुदाता भी है और कहानी के साथ-साथ पात्रों के चरित्र की रेखाओं को भी उभारना चलता है! अवदेश प्रीत जाने-माने कथाकार हैं ! लगातार पढ़े जाते रहे हैं ! मनुष्यता के हामी किसी भी लेखक को समाज में जिन चीजों से विचलित होना चाहिए, उन सबको ईमानदारी से देखने के साक्ष्य इन कहानियों में भरे पड़े हैं !
यह कहानी आंसुओं की बाढ़ ला सकती थी, लेकिन अगर नहीं लाती और पढ़ने के बाद डूबने के बजाय चिंता में डाल देती तो यह उसके शिल्प के चलते है ! शिल्प का यह जादू वे भाषा के प्रयोग में खास तौर पर साधते हैं ! उनका किस्सागो दृश्य को बखानने की प्रक्रिया में चीजों को देखने का एक नजरिया पाठक को देता चलता है जो गुदगुदाता भी है और कहानी के साथ-साथ पात्रों के चरित्र की रेखाओं को भी उभारना चलता है! अवदेश प्रीत जाने-माने कथाकार हैं ! लगातार पढ़े जाते रहे हैं ! मनुष्यता के हामी किसी भी लेखक को समाज में जिन चीजों से विचलित होना चाहिए, उन सबको ईमानदारी से देखने के साक्ष्य इन कहानियों में भरे पड़े हैं !
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